हमारी जीवनशैली और आदतें हमारी सेहत पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं. आइए, सरोज सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल की निधि धवन से जानते हैं कुछ ऐसी आदतों के बारे में जिन में से कुछ को अपना कर और कुछ को छोड़ कर आप फिट भी महसूस करेंगे और खुश भी रहेंगे:
जौगिंग और ऐक्सरसाइज: रोज व्यायाम करने और दौड़ने से पसीने के जरीए शरीर के जहरीले पदार्थ बाहर निकलते हैं और शरीर फिट रहता है. व्यायाम व रनिंग से शरीर की मांसपेशियां ठोस और मजबूत बनती हैं. इस से त्वचा में कसावट आती है, जिस से झुर्रियों की समस्या नहीं होती है. जो रोज रनिंग व व्यायाम करते हैं वे कम बीमार पड़ते हैं.
एक गिलास कुनकुना पानी: शरीर में ऐनर्जी लैवल बना रहे, इस के लिए दिन की शुरुआत कुनकुना पानी पीने से करें. इसे पीने से शरीर का मैटाबोलिक रेट बढ़ जाता है और शरीर में पूरा दिन ताजगी बनी रहती है. खाना खाने के बाद कुनकुने पानी में नीबू का रस मिला कर पीने से खाना आसानी से पचता है.
ग्रीन टी या ब्लैक कौफी: ग्रीन टी में मौजूद ऐंटीऔक्सीडैंट्स शरीर के जहरीले पदार्थों को बाहर करते हैं और शरीर से अतिरिक्त वसा को भी कम करते हैं. ग्रीन टी न सिर्फ वजन कम करने में सहायक है, बल्कि इस से सिरदर्द की समस्या से भी छुटकारा मिलता है. इसी तरह बिना शक्कर वाली ब्लैक काफी में कैलोरी न के बराबर होती है, जबकि कैल्सियम और पोटैशियम की भरपूर मात्रा मौजूद होती है.
टहलना: यह जरूरी नहीं कि आप सुबह वाक करेंगे तभी फायदे मिलेंगे. वाक एक ऐसी ऐक्सरसाइज है, जिसे दिन में किसी भी वक्त किया जा सकता है. लंच और डिनर के बाद आधा घंटा टहलने से खाना आसानी से पचता है.
खाने का एक समय: खाने का एक समय तय कर लें और फिर उस का पालन करें. नाश्ता सुबह 8-9 बजे के बीच, लंच 1-2 बजे के बीच और डिनर 7:30 से 8:30 बजे के बीच करें. बीच में लंबा गैप होने के कारण आप को खुद भूख महसूस होने लगेगी. लंच और डिनर के बीच ज्यादा गैप होने के कारण 4-5 बजे के बीच कुछ हलका नाश्ता कर सकते हैं.
घंटे की नींद: अच्छी और पर्याप्त नींद सेहत के लिए बहुत जरूरी है. जो लोग रात को 10 बजे सोते हैं और 6 बजे उठते हैं वे पूरा दिन फ्रैश महसूस करते हैं, साथ ही ऐसे लोगों में तनाव और चिंता की समस्या भी कम देखने को मिलती है.
आउटडोर गेम्स को दें महत्त्व: आज के समय में लोग बच्चों को मौल में उपलब्ध गेमिंग एरिया में ले जाते हैं, जहां उन का मनोरंजन तो हो जाता है, लेकिन शारीरिक व मानसिक विकास नहीं हो पाता है. पहले के समय के बच्चे घर पर खेलने के अलावा बाहर खेलना भी ज्यादा पसंद करते थे, जिस से उन का शारीरिक व मानसिक विकास अच्छा हो जाता था. क्रिकेट, बैडमिंटन, फुटबौल, वौलीबौल, कबड्डी जैसे खेल ओवरआल ग्रोथ के लिए अच्छे होते हैं.