नवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालु विभिन्न मंदिरों में मां दुर्गा के अलग-अलग रुपों के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. मंदिरों के बाहर लोग अहले सुबह से ही लंबी कतार में लगकर माता रानी के दरबार की ओर बढ़ रहे हैं. पटना समेत पूरे बिहार का माहौल भक्तिमय को गया है. ऐसे में न्यूज 18 हिन्दी आज आपको राजधानी पटना के एक ऐसे मंदिर के महत्व के बारे में बताने जा रहे है जिसका इतिहास 100 साल से भी पुराना है और जहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.
दरअसल हम बात कर रहे हैं गोलघर पार्क रोड स्थित अखंडवासिनी मंदिर की, जहां पूरे नवरात्रि में भक्तों की काफी भीड़ जुटती है. इस मंदिर को मनोकामना मंदिर भी कहा जाता है, मान्यता है कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से अपनी मनोकामना लेकर आता है, माता उसकी मनोकामना जरूर पूरी करती है.
मंदिर के महत्व पर अधिक जानकारी देते हुये यहां के पुजारी विशाल तिवारी बताते हैं कि अखंडवासिनी मंदिर में पिछले 108 वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है, इसलिए यहां दुर्गा मां अखंडवासिनी माता के रूप में विराजमान हैं. इस मंदिर को इसलिए मनोकामना मंदिर भी कहा जाता है क्यों कि यहां जो भी भक्त हर मंगलवार को गुड़हल के 9 फूल, 7 हल्दी और एक पुरिया सिंदूर मां अखंडवासिनी को अर्पित करता है उसकी हर मनोकमाना पूरी होती है.
विशाल तिवारी बताते हैं कि वैसे तो हर मंगलवार को काफी संख्या में भक्त यहां माता रानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं लेकिन नवरात्रि में विशेष भीड़ उमड़ती है. इस बार भी महासप्तमी के दिन पट खुलते ही मंदिर के बाहर भक्तों की काफी भीड़ लगी है जो अब नवरात्रि के नवमी के दिन रात्रि में भंडारा के बाद ही कम होगी. लोग निरंतर माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.
108 सालों से जल रही है अखंड ज्योति: विशाल तिवारी का कहना है कि साल 1914 में असम के प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर से इस ‘ज्योति’ को उनके दादा डॉ. विश्वनाथ तिवारी यहां लेकर लाए थे. उस वक्त वे महज नौ साल के थे. उस समय से अखंडवासिनी मंदिर में दो अखंड दीप निरंतर जल रहे हैं. यहां एक दीप घी का और दूसरा सरसों तेल का लगातार उसी समय से जलता आ रहा है. नवरात्रि के दौरान यहां श्रद्धालु भी अपनी मनोकामना के लिए दीप जलाते हैं.
नवरात्रि में उमड़ता है भक्तों का जनसैलाब: अखंडवासिनी मंदिर में शारदीय और वसंत दोनों नवरात्रों को दौरान भक्तों काफी भीड़ उमड़ती है, पुजारी विशाल तिवारी बताते हैं कि नवरात्रि के दौरान अष्टमी और नवमी को 24 घंटे मंदिर खुला रहता है. इस दौरान यहां श्रद्धालुओं का जन सैलाब देखने को मिलता है. नवमी के दिन कन्या पूजन के बाद भंडारा का आयोजन किया जाता है. जिसके लिए लोग-लोग दूर से मंदिर पहुंचते हैं.